अखरोट के तेल के फायदे जो त्वचा और बालों समेत हर तरह से फायदेमंद है।
अखरोट के विभिन्न नाम
हिन्दी - अखरोट,
संस्कृत - अझोट,अझोड़,
बांग्ला - आखरोट,
गुजराती - आखरोड,
अंग्रेजी - Wal - Nutt tree ( वालनट ट्री )
लेटिन - जांगलेश रेजिआ (Juglans regia)
यह वृक्ष वनस्पति जगत के जगलेंडेसी ( Juglandaceae ) कुल का सदस्य है।
अखरोट के वृक्ष अधिकतर समशितोष्ण स्थान पर पाए जाते हैं। भारत में यह वृक्ष हिमालय तथा कश्मीर में पाए जाते हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान बलूचिस्तान एवं रसिया की पहाड़ियों पर भी अखरोट के वृक्ष पाए जाते हैं।
अखरोट के वृक्ष ऊंचे पतझड़िए एवं सुगंधित होते हैं। वृक्ष की छाल में दरारें होती हैं। पत्तियां 6 से 15 इंच लंबी होती हैं। इसके पुष्प एक लिंगी तथा मादा वा दो प्रकार के होते हैं। फलों में पाई जाने वाली गुठली 1 से 1.5 इंच इंच लंबी होती है।
गुठली रूपरेखा में मस्तिष्क जैसी धारी से युक्त दो कोष्ठों वाली टेढ़ी-मेढ़ी तथा धूसर श्वेत रंग की होती है अखरोट के वृक्ष पर बसंत में फूल तथा शरद ऋतु में फल आते हैं।
अखरोट के फलों के अंदर पाई जाने वाली मस्तिष्क कार गिरी का संपीडन कर एक प्रकार का स्थिर तेल पाया जाता है जिसे अखरोट का तेल कहते हैं यह तेल गुणों में बादाम के तेल के समान होता है।
आयुर्वेद अनुसार अखरोट का तेल स्निग्ध रस में मधुर उष्णवीर्य वातशामाक कफ पित्त वर्धन दीपन स्नेहन अनुलोमान कुष्ठघन सोथ हर तथा वेदना स्थापक होता है इसका वर्ण हल्का पीला होता है।
अखरोट के तेल के औषधीय प्रयोग:अखरोट अति प्राचीन काल से एक उत्तम श्रेणी का शुष्क फल माना जाता है यह न केवल शरीर को गर्मी देता है बल्कि शरीर के लिए अत्यंत पौष्टिक भी होता है शीत प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए इसका सेवन अत्यधिक लाभदायक होता है किंतु उष्ण प्राकृतिक वालों को इसका सेवन सीमित रूप से ही करना चाहिए अखरोट की भांति ही इसका तेल भी अनेक औषधीय प्रयोग में काम में लाया जाता है जो की रोग पीड़ा में चमत्कारिक रूप से लाभ देता है अखरोट के तेल के अनेक औषधीय प्रयोग है उनमें से कुछ अत्यंत सरल निरापद एवं प्रभावी प्रयोग को आगे लिखा जा रहा है -
वर्ण चिन्हों को दूर करने हेतु -
जैसे प्रसव के उपरांत स्त्रियों के नाभि के पास रेखेदार चिन्ह बन जाते हैं -
कभी-कभी शरीर पर किसी वर्ण के उत्पन्न होने तथा उसकी पूर्ण उपचार हो जाने के बाद उसका निशान त्वचा पर बना रह जाता है यह निशान कभी-कभी सौंदर्य पर धब्बे का काम करता है इससे मानसिक वेदना बहुत परेशान करती है इसे किसी भी निशान को अखरोट के तेल की सहायता से दूर किया जा सकता है इस हेतु उसे निशान पर अति अल्प मात्रा में अखरोट के तेल को लगाना चाहिए यदि तेल उपलब्ध न हो सके तो उस अखरोट गिरी को चटनी की भांति पीसकर सूती कपड़े में दबाकर तेल प्राप्त करके प्रयोग में लाया जा सकता है अथवा अखरोट की गिरी को बारीक पीसकर लगाने से भी वही लाभ होता है प्रयोग को कुछ दिनों तक धैर्य पूर्वक करें।
रक्त्तार्ष पर -
अर्थात खूनी बवासीर पर मल त्याग करने के पश्चात अखरोट के तेल की अल्प मात्रा लगाने से मल त्याग के समय कष्ट कम होता है तथा मल के साथ खून का जाना बंद भी हो जाता है।
मस्तिष्क बल एवं बुद्धि वर्धन हेतु:
अखरोट का फल मस्तिष्क का प्रतिरूप होता है मेधा शक्ति को पुष्ट करने के लिए अखरोट का सेवन अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है अखरोट के गुण इसके तेल में भी विद्वान रहते हैं इसलिए इसका तेल भी बुध्दिबल एवं मस्तिष्क बल को बढ़ाने वाला होता है मेधा शक्ति बुद्धि बल बढ़ाने हेतु एक प्रयोग आप इस प्रकार से कर सकते हैं -
इस हेतु नित्य ओटाये हुए हुए 250 ग्राम दूध में आठ बूंद तक अखरोट का तेल मिलकर उसे दूध का सेवन नित्य कुछ दिनों तक करना चाहिए इससे न केवल मस्तिष्क का बल बढ़ता है बल्कि बुद्धि वाक शक्ति इत्यादि का भी पर्याप्त विकास होता है बच्चों को इसकी चार बूंद मात्र ही प्राप्त है जो बच्चे पढ़ रहे हैं उन्हें इसका सेवन सप्ताह में 1 से दो बार अवश्य करना चाहिए।
पछाघात में -
पक्ष घात के रोग में भी अखरोट का तेल अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है इसके लिए रोगी को नित्य चार बूंद अखरोट का तेल मक्खन में मिलाकर खाली पेट सेवन करना चाहिए इसके साथ-साथ थोड़े से तेल की मालिश संबंधित स्थान पर भी करना चाहिए पक्ष घात के तत्काल बाद ही या प्रयोग किया जाना हितकर है रोग को अगर अधिक समय हो गया है तो इस उपचार को लंबे समय तक करना होगा इसमें धैर्य स्वयं की आवश्यकता रहेगी।
बजीकरण हेतु -
कई व्यक्तियों को शीघ्रपतन की शिकायत होती है अथवा कई व्यक्ति अपनी पत्नियों को पूर्णता संतुष्ट नहीं कर पाते हैं ऐसे सभी लोगों को इस प्रयोग को और सही करना चाहिए इस प्रयोग के अंतर्गत उन्हें 300 ग्राम के लगभग दूध लेकर उसे इतना ओटाना चाहिए कि वह 200 ग्राम के लगभग शेष रह जाए उस ओटाये हुए दूध में चार से छ बूंद अखरोट का तेल मिलाकर पी लेना चाहिए यह प्रयोग बिस्तर पर जाने के 2 घंटे पूर्व करना चाहिए ऐसा करने से कुछ ही दिनों में श्रेष्ठ बजीकरण होता है।
अखरोट के तेल का विशेष प्रयोग:
अनेक लोगों के चेहरे पर विशेष प्रकार की झाइयां पड़ जाती हैं जिसके कारण उनका चेहरा बदसूरत सा हो जाता है चेहरे पर बने या पडने वाली किसी भी प्रकार की झाई को दूर करने हेतु चार से छ बूंद अखरोट के तेल को हथेली पर लेकर उंगलियों की सहायता से चेहरे पर जहां-जहां झाई हो वहां वहां मलना चाहिए ऐसा करने से चेहरे की झाइयां समाप्त होती हैं।
अखरोट का तेल सौंदर्यावर्धन में भी अत्यंत सहायक है यह प्रयोग यूवतीयों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है एक चम्मच बेसन तथा आधा चम्मच हल्दी पाउडर में थोड़ा अखरोट का तेल तथा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें और फिर इस उबटन को चेहरे पर लगा ले कम से कम आधा एक घंटा से लगा रहने दें इसके बाद चेहरा धो ले चेहरे का सौंदर्य निखार उठेगा इस प्रयोग को सप्ताह में एक बार जरूर करें।
अखरोट के तेल का चमत्कारिक प्रयोग:
अखरोट का तेल बादाम के तेल की ही भांति उपयोगी होता है किंतु इसके चमत्कारिक प्रयोग बादाम के तेल से भिन्न है अखरोट के तेल के द्वारा कुछ ऐसी उपयोगी एवं चमत्कारिक प्रयोग किया जा सकते हैं जो जीवन में आने वाली समस्याओं से शीघ्र ही मुक्ति प्रदान करते हैं इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं -
1. जिस व्यक्ति की बुद्धि कुंद हो अथवा जो व्यक्ति कुंठित हो अथवा जिस किसी बच्चे का मन पढ़ने में नहीं लगता है उनके लिए यह प्रयोग अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो सकता है इसके लिए उसके कमरे में अखरोट और जैतून के तेल के मिश्रण को 2:10 के अनुपात में मिलाकर उसमें थोड़ी जावित्री डाल कर रख दें इस मिश्रण में नित्य रुई के फाहे से गोल बत्ती बनाकर तथा एक अलग दीपक पर रखकर जलाएं यह दीपक 5 से 7 मिनट तक जलेगा तथा इसके लिए नित्य इतना ही जलना पर्याप्त है।2:10 से तात्पर्य है यदि अखरोट का तेल 20 मी. ग्रा. हो तो जैतून का तेल 100 मि.ग्रा. लिया जाए। स्त्रियों को नित्य कुछ दिनों तक करने से प्रयाप्त लाभ होता है।
2. घर से भागे हुए व्यक्ति को वापस बुलाने के लिए भी अखरोट के तेल का एक सरल प्रयोग है इस प्रयोग के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति घर से चला गया है तो तथा उसका अता पता नहीं लग पा रहा हो तो उसे वापस बुलाने हेतु अग्रंकीत यंत्र को किसी भी दिन शुभ मुहूर्त में बनाएं इसे कोरे सफेद कागज पर काली स्याही से बनाना है यंत्र बनाते समय मुख में कोई खुशबूदार वस्तु चबाते रहे यंत्र को ऊनी आसन पर बैठकर बनाएं इसे बनाकर जहां अमुक लिखा है वहां गए हुए व्यक्ति का नाम लिखकर इस पर थोड़ा सा अखरोट का तेल लगाकर अगरबत्ती की धूनी देकर 2 से 4 घड़ी करके किसी वृक्ष की डाल पर कपड़े सीने के धागे से लटका दें इसके प्रभाव से गया हुआ व्यक्ति वापस घर आ जाता है अथवा उसकी खबर शीघ्र प्राप्त होती है उपाय अगर पूरी आस्था विश्वास एवं श्रद्धा से किया जाता है तो इसका लाभ भी शीघ्र ही दिखाई देने लगा लगेगा यंत्र निम्ननुसार है
अखरोट के तेल की दूसरी चमत्कारिक प्रयोग:
कष्ट निवारक यंत्र का विशेष प्रयोग -
यह एक ऐसा चमत्कारिक यंत्र प्रयोग है जो आपको प्रत्यक्ष-परोछ रूप से प्रताड़ित करने वाली समस्याओं से मुक्ति प्रदान करता है इसका प्रयोग अत्यंत सरल है आपको अगर किसी भी प्रकार की समस्या है धन हानि हो रही है शत्रु परेशान कर रहे हैं आपको संतान व्यवसाय व भवन आदी किसी भी प्रकार की नजर दोष द्वारा उत्पन्न पीड़ा को भोगना पड़ रहा है तो इस यंत्र का प्रयोग करें यंत्र के नीचे खाली स्थान पर जहां समस्या लिखा है वहां अपनी समस्या जैसे कि व्यापार में होने वाली समस्या ज्ञात अज्ञात शत्रुओं की पीड़ा कर्ज की समस्या आदि को लिख दे इसके लिए काली स्याही वाले पेन का प्रयोग करें इसके पश्चात घर अथवा व्यवसाय स्थल के ऐसे खुले स्थान पर आ जाएं जहां से आपको आसमान दिखाई दे अब आप इस यंत्र पर अखरोट के तेल की कुछ बूंदे लगा दें इसके बाद एक कपूर की टिकिया को मिट्टी के दीए में रखकर जला दें तथा कपूर की अग्नि से इस यंत्र को जला दें यंत्र के जलने के साथ ही आपकी समस्याएं भी समाप्त होने लगेगी जलने के पश्चात इसकी राख को एकत्र करके 12 चौराहे अथवा पीपल वृक्ष की जड़ों में डाल दें इसके बाद आपको लाभ की प्राप्ति होती दिखाई देगी आप चाहे तो इस यंत्र की जेरोक्स कॉपी करवा कर रख ले अपनी किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए इसका 21 अथवा 31 बार प्रयोग करें ईश्वर कृपा से आपकी समस्या पूरी तरह से दूर हो जाएगी इसका प्रयोग आप किसी भी दिन से प्रारंभ कर सकते हैं अगर यह प्रयोग 21 से 31 दिन तक करना चाहते हैं तो सप्ताह में एक दिन यह प्रयोग करें और उसी दिन करें जिस दिन से इसे प्रारंभ किया है यह प्रयोग संध्या पश्चात एकांत में करें यंत्र इस प्रकार है -
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