क्या होता है नाभि खिसकना? जानें लक्षण, बचाव और उपचार के तरीके......

                                 नाभि खिसकने से होने वाले रोग नाभि खिसकने के घरेलू उपाय नाभि ठीक करने के उपाय  ऊपर चढ़ी धरण को कैसे ठीक करें? ऊपर चढ़ी नाभि को कैसे ठीक करें?

नाभी हटने के सम्बन्ध में ~

यदि रोगी को भूख नहीं लगती हो, उसे लगातार दस्त लगे रहते हो, तब रोग का धरातल होगा नाभी का हटना। यदि चिकित्सक को रोग का मूल कारण नाभी का हटना लगे, तब ऐसी स्थिति में जानकार व्यक्ति से उसकी नाभि बीठलायें।ऐसे रोगियों में नाभी अपनी जगह पर आने के बाद ही उसे पर दवाइयां भी काम करेंगी तथा उसका रोग भी ठीक हो जाएगा, वरना उस पर दवा का असर नहीं होगा। क्योंकि आज के डॉक्टर को अंग्रेजों ने पढ़ाया ही नहीं की नाभी क्या होती है तथा क्या काम करती है, इसलिए वह इसे दकियानूसी  बतलाते हैं तथा ऐसी बातों पर विश्वास ही नहीं करते ऐसे केशो में ध्यान रखें नाभी मिलवाए नहीं उसे नसों के जानकार से ही ठीक करवाए फिर देखें रोग कैसे ठीक नहीं होता।

खिसकी हुई नाभी के पहचान: 

दोनों हाथों की हथेलियां को इस प्रकार जोड़कर रखें कि दोनों हाथों की हृदय रेखा आपस में मिल जाए अब दोनों हाथों की कनिष्ठ उंगलियों के पोरवो की रेखाएं भी मिलती हो, इस बात का ध्यान रखें। यदि पोरवो की यह रेखाएं आमने-सामने न होकर ऊपर नीचे हो तो समझ लीजिए नाप उखड़ी हुई है।

नाप बैठाने का ढंग:

उपाय 1. रोगी को बिल्कुल सीधा लिटा दें तथा धागे से उसकी नाभि से लेकर निप्पल तक नापे। ऐसा दोनों निप्पलों पर नापे जीस ओर का धागा बड़ा होगा, धरण भी उसी और किसकी होगी। अब जिस और धरण गिरी है, उसके उल्टी तरफ वाली लात को घुटनों तक मोड दूसरी लात को घुटने के ऊपर रख थोड़ा सा नीचे की ओर झटका दें। ऐसा करने से नाप नहीं उखड़ेगी।

सुझाव:

 ऐसे रोगी को कुछ दिन तक थोड़ा-थोड़ा बेल का मुरब्बा खाने को दे ऐसा करने से नाप नहीं उखड़ेगी।

नाभि खिसकने से होने वाले रोग नाभि खिसकने के घरेलू उपाय नाभि ठीक करने के उपाय  ऊपर चढ़ी धरण को कैसे ठीक करें? ऊपर चढ़ी नाभि को कैसे ठीक करें?

विशेष:

यह नुस्खा दादा गुरु वैद्य त्रिलोक चंद जी से प्राप्त हुआ है।

नाभी बैठाने पर एक योग।

विधि: 

व्यक्ति को तख्तपोश या जमीन पर कमर के बल लिटा दे। दोनों टांगें लंबाई में रखें। दोनों पैर आपस में मिले रहेंगे। अब दाई टांग को मोड़ते हुए व्यक्ति अपनी दाईं टांग को दोनो हाथों से पकड कर उसे पैर के अंगूठे को अपनी नाक से छुआने की कोशिश करें। ऐसा करते वक्त सिर को भी थोड़ा सा जमीन से ऊपर उठाकर रखना पड़ता है। शुरू शुरू में कई लोग इस आसन को ठीक ढंग से नहीं कर पाते। उनका पैर अंगूठा तक नहीं पहुंच पाता। इसलिए अंगूठा जहां तक पहुंच पाए उतना ही ठीक है। 

कुछ दिन तक प्रतिदिन अभ्यास करने से पैर का अंगूठा नाक से छूने लग जाता है। जिनका पेट बढ़ा हुआ होता है। उनके पैर का अंगूठा  नाक तक नहीं पहुंच पाता इसलिए पैर जहां तक जा सकता है ले जाएं। यह 1 से 2 मिनट के लिए रुके अब दाईं टांग को सीधा कर लें। अब बाई टांग के पैर को दोनों हाथों से पकड़ कर ऐसे मोड की पैर का अंगूठा नाक से लग जाए। अब इस पैर को भी सीधा कर लें। अब दोनों टांगों को मोड़कर ऐसा बनाएं की दोनों पैर के पंजे नमस्कार की स्थिति में आ जाएं। अब दोनों हाथों से दोनों पैरों को पकड़ कर दोनों अंगूठे नाक से लगाए। एक दो मिनट रुक कर सिर को जमीन से लगा दें तथा दोनों टांगों को लंबाई में फैला दें। 

इस आसन का यह चक्र है। इस प्रकार पांच बार यह आसन करने हैं। उसके बाद चिकित्सक रोगी के पैर का अंगूठा पड़कर जमीन से एक फीट ऊंचा उठा उस पैर के तलवे (गहरी जगह से एड़ी के तरफ) से दो अंगुल छोड़कर यहां पांच से सात बार मुक्का मारे। मुक्का ना हल्का हो ना ज्यादा तेज हो। इसी प्रकार दूसरी टांग में मुक्का मारे। ध्यान रखें कोई कमजोर रोगी हो तो उसके पैर के तलवे में मुक्का ना मारे। 

अब रोगी को कहे कि वह बाई करवट लेट जाएं तथा दाएं हाथ का सहारा लेकर उठकर बैठ जाए। ध्यान रखें झटके से ना उठे। आप जब भी पहले दिन आसन कराएं केवल उसी दिन उठकर बैठने के बाद बैठे-बैठे ही रोगी को दो बिस्कुट या एक रोटी खिला दें। उसके बाद रोगी को उठकर खड़े होने को कह सकते हैं।

 एक बात ध्यान में रखें कि यदि उपरोक्त आसन जमीन पर कर रहे हो तब तो उठने में दिक्कत नहीं होगी यदि आप बिस्तर पर यह आसान कर रहे हैं तब उठकर बैठ जाने के बाद रोगी को कहे की तो पहले दाया पैर जमीन पर रखे उसके बाद बाया पैर जमीन पर रखे उसके बाद ही आराम से खड़ा हो जाए ध्यान रहे झटके से नहीं उठाना है।

आपके पास ऐसा भी रोगी आ जाता है जिसकी टांगे नहीं है या एक टांग है। ऐसे रोगियों को जमीन पर लिटा दें तथा नाभी के ऊपर मोटे किनारे वाली कटोरी रखें। अब 5 से 7 किलो वाली बाल्टी में पानी भरकर उसे

उस कटोरी पर रख एक व्यक्ति  कुछ देर बाल्टी को पकड़ कर बैठ जाए। 5 से 7 मिनट बाद बाल्टी हटा ले तथा कटोरी भी हटा ले। अब ऊपर बतलाए अनुसार उठने को कहें। नाभि गिरने से कोई रोग पैदा हो जाते हैं परंतु हमारा ध्यान नाभि पर नहीं जाता। ऐसे व्यक्ति दवा खाते रहने के बाद भी ठीक नहीं हो पाते। तब उन्हें लगता है कोई ऊपरी चक्कर है। ऐसा व्यक्ति तांत्रिकों के चक्कर लगाता रहता है। कैसे भी रोगी आए वह 2 वर्ष का बच्चा हो या बड़ा आप सबसे पहले उसे ऊपर  बतलाए आसन कराए आसन करने के बाद हो सकता है एक बार में ही ठीक हो जाए उसके बाद ही उसे दवा दे।

नोट:

वैद्य त्रिलोक चंद जी का अनुभव है की 80% रोग नाभि हटने के कारण होते हैं। कोई भी  रोगी आए, बच्चा या बूढ़ा सबसे पहले उसकी नाभि चेक करें। नाभि सेट करने के बाद उसे जो भी दवा देंगे और तेजी से अपना प्रभाव दिखलाएगी। वैद्य त्रिलोक चंद्र जी का कथन है कि थायराइड, मासिक में खराबी, हृदयशूल, मानसिक कमजोरी, मंदाग्नि ,शरीर थका सा रहने पर, पहले नाभि चेक करें।

यह नुस्खा वा मार्गदर्शन दादा गुरु वैद्य त्रिलोक चंद जी से प्राप्त हुआ है

आपका भाई वैद्य राहुल गुप्ता 

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