हरड़ का सेवन करने से क्या बन सकते हैं। दीर्घायु........
हरड़, जिसे हरीतकी भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है। यह त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। भारत में इसका इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के तौर पर खूब किया जाता है। आयुर्वेद में तो इसके कई चमत्कारिक फायदे बताए गए हैं। दरअसल, इसे त्रिदोष नाशक औषधि माना जाता है। यह पित्त के संतुलन को तो बनाए रखता ही है, साथ ही यह कफ और वात संतुलन को भी बनाकर रखता है। कई बीमारियों में इसे बेहद ही फायदेमंद माना जाता है, जिसमें पाचन से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं।
हरीतकी का सेवन -
आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा है कि भगवान धनवंतरी जब समुद्र से निकले तो उनकी मुट्ठी में भारतीय रसायन औषधि हरीतकी (हरड) पकडी हुई थी।
अन्य रोगों के लिए जहां हरड़ अकशीर है। वहां असमय में बालों का सफेद होने में नेत्र तथा आमाशय के लिए तो अनुपम वस्तु है, किंतु इसके संपूर्ण गुण प्राप्त करने के लिए इसका निरंतर सेवन करना आवश्यक है नीचे इसकी मासिक सेवन विधि लिखी जाती है।
विधि:
जेष्ठ और आसाढ मास में इसका 4 ग्राम चूर्ण गुड में मिलाकर सेवन करें, श्रवण और भाद्रपद मास में हरड़ 4 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर दें,आसोज और कार्तिक मास में 4 ग्राम हरड़ का चूर्ण संभाग मात्रा में मिलाकर खांड के साथ दें, मार्गशीर्ष व पौष 4 ग्राम चूर्ण और 1 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन कराएं, माघ और फाल्गुन में हरड़ का चूर्ण 4 ग्राम लौंग का चूर्ण एक रत्ती के साथ सेवन कराएं।
चैत्र और वैशाख मास में हरड़ 4 ग्राम की मात्रा में शुद्ध शहद मिला कर दे,
गुण:
ग्रंथकारों ने लिखा है कि प्रथम मास में शरीर का आलस्य दूर होता है। द्वितीय मास में शरीर से अधिकांश रोग दूर हो जाता है। तीसरे मास में आंखों की ज्योति उत्पन्न हो जाते हैं, चौथे मास में हृदय की दुर्बलता दूर हो जाती है, पांचवी मास में मस्तिष्क शक्ति और विवेक शक्ति बढ़ जाती है,छठे मास बजीकरण शक्ति उत्पन्न होती है, सातवें मास में बुद्धि तीव्र होती है, आठवीं मास में स्मरण शक्ति तेज हो जाती है, नवे मास में दिन में तारे दृष्ट गोचर होने लगते हैं, दसवीं मास में श्वेत केश काले हो जाएंगे, 11वीं मास में त्रिकालदर्शी बनता है, 12वीं मास में सिद्ध पुरुष बन जाता है।
वैध राहुल गुप्ता
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