बिना जाने इलाइची खाने से हो सकता है नुकसान
लेटिन नाम -इलेटिरिया कार्डेमम कार्डेमम ( Ellatteria cardamum)
इलायची मसाले के रूप में अधिक प्रियोग की जाती है।
इलायची का अर्थ यहां हरी, छोटी इलायची है। यही अधिकतर काम ली जाती है। पान, मिठाई और नमकीन का स्वाद बढ़ाने के लिए इलायची काम में लिया जाता है। इलायची में तेल होता है इलायची छीलकर पीसकर रखें तो इसमें व्याप्त तेल उड़ जाता है इसलिए इसे बिना छीले ही रखें।
इलायची का रासायनिक विश्लेषण -इसमें कार्बोहाइड्रेट 42.1 प्रतिशत, कैल्शियम 1.3 प्रति, उड़नशील तेल 2.8 प्रतिशत, पोटेशियम लवण 2.2, स्टार्च 3.4, पितरंजक द्रव्य 6.10 प्रतिशत, नमी 20%,रेशे 20.1प्रतिशत रहते है। इसमें लोहा, मैंगनीज और फास्फोरस भी थोड़ी बहुत मात्रा में पाया जाता है।
इलायची के दाने आसानी से पीसने के लिए उसमें थोड़ी शक्कर मिला लें। इलायची के छिलकों को ना फेक। चाय की पत्ती में मिलाकर रख दे चाय का जायका लाजवाब होगा।
एंटी स्पासमोडिक है यानी मांसपेशियों की ऐंठन में आराम पहुंचाती हैं।
जी मिचलाना रुकती हैं।
सांसों में ताजगी भरती हैं।
गले को आराम पहुंचती हैं कहां जाता है कि इलायची की एंटीआक्सीडेंट शक्ति 20 सब्जियों और फलों से भी बेहतर है इलायची वाली चाय की सबसे खास बात है कि इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है गुणवत्ता की दृष्टि से छोटी इलायची बड़ी इलायची से अधिक लाभदायक है यह रक्त का थक्का जमना रोकती है।
प्रकृति -
ना गर्म ना ठंडी। यह मुखशोधक, दुर्गंध नाशक, रुचिकर, हृदय बल दायक, कफ नि:सारक, मूत्र जनक, शूलहरक, तथा बल कारक है।
अवसाद, उदासी -
छोटी इलायची के दाने पीसकर चाय में डालें इलायची की यह चाय पीने से उदासी दूर होती है।
सिरदर्द -
सिरदर्द होने पर इलायची पीसकर सिर पर लेप करने से सिर दर्द बंद हो जाता है इसके चूर्ण को शुघना चाहिए शुघने से छींक आकर मस्तिष्क पीड़ा घटती है।
मर्दाना शक्ति वर्धक -
नित्य रात को सोते समय दूध में दो इलायची के दाने पीसकर डालें इसमें शहद मिलाकर पिए।
मूत्रकृछ -
(1) दो इलायची पीसकर एक गिलास दूध के साथ लेने से मूत्र खुलकर आता है तथा मूत्रदाह बंद होता है। (2) तीन पिसी हुई छोटी इलायची, एक मूंग के बराबर सेका हुआ हींग, आधा चम्मच घी, एक गिलास उबला हुआ दूध में सब डालकर मिलाकर सुबह शाम पीने से मूत्रकृछ और शुक्रदोष दूर हो जाते हैं।
पेशाब की जलन -
दो इलायची खाकर गर्म दूध पीने से पेशाब की जलन दूर होती है जलन होने पर दो इलायची चूसते रहे मुंह में इलायची गलने पर खाएं।
पथरी में -
पथरी में इलायची लाभदायक है। पेशाब की जलन दूर करती है।
रक्तपित्त -
भूखे पेट दो इलायची प्रतिदिन चबाकर खाएं और इस पर दूध या पानी पिए लाभ होगा यह परीक्षित है।
नशा -
इलायची खाने से नशा करने की आदत से छुटकारा पाया जा सकता है जब भी नशा करने की इच्छा हो इलायची चूसे।
दर्द -
इलायची बोर्ड द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार इलायची में सिर दर्द, पेट का दर्द मिताली तथा जोड़ों के दर्द की पुरानी बीमारी को दूर करने की क्षमता है।
इलायची के छिलकों को एक तकिया में भरकर लगातार 8 महीने तक जोड़ों के नीचे रखने से जोड़ों का दर्द ठीक हो गया
गर्भावस्था -बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश में कुछ गर्भवती महिलाओं को इलायची का काढ़ा दिया गया ताकि उनका पेट ज्यादा ना निकल सके स्तनों की दूध की सफाई हो सके और बच्चा मां की बीमारी से बच सके। जिसे वो सब महिला को फ़ायदा हुआ।
खांसी -
रात को सोते समय खांसी हो तो एक बड़ी इलायची एवं एक लौंग को शक्कर तथा पीसकर इसका एक चौथाई भाग चूर्ण शहद में मिलाकर धीरे-धीरे लगभग 5 मिनट तक चटाए इससे गला साफ होगा खांसी से आराम मिलेगा।
जी मिचलाना -
इलायची खाने से जी मिचलाने में आराम होता है।
उल्टी -
अनार का शरबत दो चम्मच दो छोटी इलायची का पाउडर एक कप पानी में मिलाकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है। तथा एक गिलास पानी में दो इलाइची उबाले आधा रहने पर गुनगुना पिए।
गर्भवती को उल्टी -
इलायची चूसे।
गैस अम्लपित्त -
मसालेदार चटपटा भोजन करने से सीने में जलन गैस हो तो छोटी इलायची लाभ करती है।
तेज धड़कन, डिप्रेशन, दस्त, पेचिस, थकान होने पर इलायची चबाने से लाभ होता है।
अजीर्ण केले का -
केला खाने के बाद एक इलायची खाएं इसमें केले के कारण किसी प्रकार की हानि अजीर्ण नहीं होगा।
दुर्गंध -
प्याज लहसुन खाने के बाद इलायची खाने से उनकी गंध मुंह से नहीं आती पायरिया रक्त विकार या किसी मादक द्रव्य के दुर्गंध से जी मचला रहा हो तो छिलके सहित इलायची चबाकर रस चूसे इलायची खाने के बाद सांस में सुगंध आती है।
घबराहट -
एक इलायची पीसकर एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से घबराहट तथा गर्मी और पित्त वृद्धि के कारण घबराहट दूर हो जाती है।
हिचकी -
चार छोटी इलायची छिलके सहित कूट कर आधा किलो पानी में उबले आधा पानी रहने पर छान कर गुनगुना पिलाए हिचकी बंद हो जाएगी छिलके सहित छोटी इलायची चबाते रहे हिचकी बंद हो जाएगी स्वानुभूत है।
वैद्य राहुल गुप्ता
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